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अप्रैल, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फिजाओं में मेरा दम निकला

हवा की तरह मैं जब चल निकला खुलीं फ़िज़ाओं में मेरा दम निकला ख़ुद की तलाश में ख़ुद को ढुँढ रहा था जहां कदम रुका सनम का घर निकला इश्क जन्नत है इश्क नेमत है ख़ुदा की किताबों में जो पढा़ सब झुठ निकला भूल जाता हूँ सबक रटे-रटाए सारे मैं तोते से भी बेहद कमतर निकला बहुत हो गयी दीवानगी घर लौट चलूँ बेबसी का क्या कभी कोई हल निकला पाँव के छालों ने कदम रोक लिए मंज़िल की तलाश में इक युग निकला कहते थे सीप निकलेगा मिलेगा मोती जब समंदर खंगाला नमक निकला

मैं तुम्हारा तुम हमारी

मैं तुम्हारा तुम हमारी! नयन में निज नयन भर कर अधर पर सुमधुर अधर धर साध कर स्वर, साध कर उर एक दिन तुमने कहा था प्रेम-गंगा के किनारे। मैं तुम्हारा तुम हमारी! था कथित उर-प्यार हारा मौन था संसार सारा सुन रहा था सरित-जल, सब मुस्कुराते चाँद-तारे। मैं तुम्हारा तुम हमारी! अब कहीं तुम, मैं कहीं हूँ अर्थ इसका मैं नहीं हूँ शेष हैं वे शब्द, क्षत उर-स्वप्न, दो नयनाश्रु खारे। मैं तुम्हारा तुम हमारी!

अब तक याद है

दिल पर चला हर खंजर हमे अब  तक याद है उनसे बिछड़ने का दर्दनाक मंज़र हमे अब तक याद है वो हैरतनाक वाक़या हमे अब तक याद है उसने कहा था जीना भी नहीं और रोना भी नही ये खूने दिल से सने अल्फ़ाज़ हमे अब तक याद हैँ वो पलकों की चिलमन मेंं लिपटा हिजाब हमे अब तक याद है उन आँखों की शराब औऱ चेहरे पर नकाब हमे अब तक याद है वो जलाए हुऐ खत औऱ मसला गुलाब हमे अब तक याद है हाँ हमे याद है छत पर वो मुझसे निगाहें मिलाना निगाहें चुरा कर वो नजरें बचाना और नजरें बचा कर निगाहें मिलाना ना हो कदमों की आहट तो नंगे पाँबो ही आना और जलती फर्श पर वो सिसकियाँ सुनाना पर फ़िर क्यू ये इश्क इतना हो गया बेगाना क्यूँ  बीच मेंं ही दम तोड़ गया ये फ़साना गर मिले फुरसत तो हमको बताना इन्तेजार करेगा ये दीवाना

वफा

फ़ितरत है इन हुस्न वालों की रस्में दर्द अदा करते रहते हैँ फ़ितरत है इश्क वालों की दर्द सह कर भी इश्क करते रहते हैँ वो भी हैँ पक्के अपने इरादों के बस नज़रों से वार करते रहते हैँ हम भी हैँ पक्के आशिकी के वादों के बस उन ही से प्यार करते रहते हैँ वो भी हैँ पक्के क़ातिल उसूलों के आरजूओ के कत्ल करते रहते हैँ हम भी हैँ पक्के सब्र के उसूलों के दर्द सहकर भी वफ़ा करते रहते हैं

प्यार हो गया

दिल ने दिल को पुकारा ,दिल तुम्हारा हो गया | कैसे कहे सबके सामने ये दिल तुम्हारा हो गया || ढूँढ़ते रहे ह्म सहारा,कोई सहारा ना मिला | मिला जब से तुम्हारा दिल,मेरा सहारा हो गया || टूट गया था मेरा दिल इसे कोई दुबारा  न मिला | ये ख़ास दिल था तुम्हारा,जो मेरा दुबारा हो गया || मालूम नहीं चला ,कब में तुमसे प्यार हो गया | पता नहीं ये दिल तुम्हारा  क्यों प्यारा हो गया || देना नहीं ये दिल किसी को भूलकर भी तुम | ये दिल तो अब हमेशा के लिए मेरा हो गया ||

तकदीर

अपनों की आँखों मेँ अपनी तसवीर होनी चाहिए अपने हीं हाथों अपनी तक़दीर लिखनी चाहिए यूँ तो मिल ही जाएँगे कई सलाह नवीस सरे राह मगर अपनी मंजिल पाने को अपनी ही तदबीर होनी चाहिए यूँ तो मिल ही जाएँगे कई मिस्त्री कई लेबर मगर सपनों के महल की अपने ही हाथों तामीर होनी चाहिए

अफसाना

किस्सा  उसका  एक  अफसाना  लगता है मुझको  तो  वो शख्स दिवाना  लगता  है भीगी भीगी  पलकें  उसकी, हंसता  रहता  है मुश्किल  उसको  दर्द  दबाना  लगता  है भीड़  में भी कभी कभी वो तनहा  होता  है सन्नाटा  उसका दोस्त  पुराना  लगता  है

आईने से मुख़ातिब न होइयेगा

आईने से मुख़ातिब न होइयेगा आईने भी अब वफ़ा नही करते. सुरत दिखाकर सीरत छिपाये हमारे अक्स से हमे ही डराये दायें को बायां , बायें को दायां ना जाने क्या क्या खेल दिखाये. बदलते रहते है वक़्त के साथ साथ निभाना इन की फ़ितरत मे नही " आईने से भली है आँखे हमारी "   अक़्सर बताती है सनम हमारी 😊   जब भी झांके वो नजरे हमारी   वो ही रंग वो ही रूप   दिखाती है आज भी नजरे हमारी।।        

जिंदगी उदास रहती है

हर वक़्त तेरे आने की आस रहती है! हर पल तुझसे मिलने की प्यास रहती है! सब कुछ है यहाँ बस तू नही! इसलिए शायद ये जिंदगी उदास रहती है! न जाने क्यों हमें आँसू बहाना नहीं आता! न जाने क्यों हाल-ऐ-दिल बताना नहीं आता! क्यों सब दोस्त बिछड़ गए हमसे! शायद हमें ही साथ निभाना नहीं आता! पास आकर सभी दूर चले जाते हैं; अकेले थे हम, अकेले ही रह जाते हैं; इस दिल का दर्द दिखाएँ किसे; मल्हम लगाने वाले ही जखम दे जाते हैं!

जान बन गये

#सांसो में रहकर #तुम हमारे            #मेहमान बन गये..💓 #मुसकराए ऐसे कि #तुम हमारी        #पहचान बन गये...💓 #लोग पास रहकर भी #हमारे ना बन सके..       और #तुम दूर होकर भी हमारी #जान बन गये..💕💕    

मैं लौट आऊंगा

“अब तो आ जा मेरी जान के तेरे हिजर के कैदी को यहां….. रोज इस शहर में मरने की दुआ मिलती है…..” एक आवाज दिल से कभी लगा के देखना मै लौट आऊंगा… आंसु का एक कतरा बस मेरी खातिर छलका के देखना मै लौट आउंगा… इश्क में सौ बार जले हैं अब राख भी बिखरी पडी है… मगर इश्क में फिर से आजमा के देखना मैं लौट आऊंगा…. तुमको खुश देख अपनी खुशियां लुटा आए थे हम… चेहरे पर कभी शीकन ला कर देखना मैं लौट आऊंगा… तेरी ही अदा पे मर मिटे उसी वजह से हम शायर बने… कभी मेरी गजल गुनगुनाकर देखना मै लौट आऊंगा… दूर ना जाने की सौ कसमें दी थी तुमनें हम ना माने… एक दफा खुद में मुझको जगा कर देखना मैं लौट आऊंगा… ना पाया है ना खोया है कुछ राह-ए-इश्क में मैंने… कभी दर्द अपना हमपे लुटा कर देखना मै लौट आऊंगा…. जिन्दा हूं तब तक सांसों में तेरी रवानी है तब तक… एक बार हाथ अपना बढाकर देखना मैं लौट आऊंगा…..

कवि हूं मैं

कवि हूँ मैं दुनियावी हूँ मैं दुनिया के साथ साथ देखता हूँ। अंधेरा इतना गहरा है सबकुछ दिखने लगा साफ साफ। उजाले मे भी सबकुछ दिखता था उजाले मे बहुत कुछ  दिखता है साफ साफ। सवाल यह नहीं ! उजाला है अंधेरा मे तू देखता क्याहै? सवाल यह है! तू अब देखता ही क्यों है ? एक बार देखेगा  यह कहने के लिए कि देख रहा हूँ अंधेरा है दिख रहा है साफ साफ। एक बार देखेगा यह कहने के लिए  कि उजाले मे देखा मैनें दिखा मुझे सबकुछ बहुत कुछ साफ साफ। माफ करना मेरे दोस्त ना अंधेरे मे देखता हूँ ना उजाले मे देखता हूँ कवि हूँ मैं दुनियावी हूँ मैं दुनिया के साथ साथ देखता हूँ।

मोहब्बत की नाकामी

मेरे मरने के बाद मेरी कहानी लिखना..!! गमों में डूबी हुई मेरी ज़िंदगानी लिखना..!! लिखना के मेरे होंठ हँसी को तरसे..!! कैसे बहता है आँखों से पानी लिखना..!! जब भी प्यार से मुझे कोई देखता था..!! मेरी आँखों से झलकती मेहरबानी लिखना..!! लिखना की मुझे किसी से मुहब्बत हुई थी..!! और फिर इस मुहब्बत में हुई नाकामी लिखना..!! लिखना की मुझे कभी कोई समझ नही पाया..!! और तुम ना करते थे मेरी परवाह लिखना.!! मेरे एक एक पल से तो तुम वाकिफ़ हो इस लिए मेरी कहानी अपनी ज़ुबानी लिखना.....

शीशे सा ना बनाया होता

ऐ खुदा लोग बनाने थे पत्थर के अगर तो  मेरे एहसास को शीशे सा ना बनाया होता ऐ मोहब्बत तू शर्म से डूब मर  तू एक शख्स को मेरा न कर सकी  तूने हसीन से हसीन चेहरे को उदास किया है  ऐ इश्क अगर तू इंसान होता तो तेरी खैर ना होती  सुनो हम पर मोहब्बत नहीं आती तुम्हें  ऐ मेरे सनम! रहम तो आता ही होगा।।

बद-दुआओं की महफिल

महफिल लगी थी बद-दुआओं की हमने भी दिल से कहा उसे इश्क हो उसे इश्क हो उसे इश्क हो  तड़प उठते हैं उन्हें याद करके जो गए हैं हमें बर्बाद करके अब तो इतना ही ताल्लुक रह गया है कि रो लेते हैं बस उन्हें याद करके जब वो मिले हमसे अरसे बाद तो उन्होंने पूछा कि हाल-चाल कैसा है तो हमने कहा तुम्हारी चली चाल से मेरा हाल बदल गया।।

मेरे गम की कहानी

चाहा था मुकम्मल हो मेरे गम की कहानी मैं लिख ना सकी कुछ भी तेरे नाम से आगे  तुम तो डर गए हमारी एक ही कसम से हमें तो तुम्हारी कसम देकर हजारों ने लूटा है मेरी कोशिश कभी कामयाब ना हो सकी पहले तुझे पाने की फिर तुझे भुलाने की।।

कोई टूट रहा है

इश्क का धंधा ही बंद कर दिया साहेब मुनाफे में जेब जले और घाटे में दिल सुनो कोई टूट रहा है तुम्हें एहसास दिलाते दिलाते सीख जाओ किसी की चाहत की कदर करना नाराजगी डर नफरत या फिर प्यार कुछ तो जरूर है जो तुम मुझसे दूर दूर रहते हो।।

मैं तो आइना हूं

बिन बात के रूठने की आदत है किसी अपने का साथ पाने की चाहत है आप खुश रहें मेरा क्या है मैं तो आइना हूं  मुझे तो टूटने की आदत है  एक जरा सी भूल खता बन गई दिल लिया और खेलकर तोड़ दिया हमारी जान गई और उनकी अदा बन गई मत कर इतनी मोहब्बत है दिल प्यार का दर्द सहना पाएगा टूट जाएगा किसी दिन अपनों के हाथों से किसने तोड़ा है ये भी किसी से कहना पाएगा।।

वो क्यों बदल गया

सोचती रही रात भर करवट बदल बदल कर ना जाने वो क्यों बदल गया मुझको इतना बदल कर  बहुत डर लगता है उन लोगों से जो बातों में मिठास हो दिलों में जहर रखते हैं वो आज फिरसे मिले अजनबी बनकर और हमें आज फिर से मोहब्बत हो गई  धोखा देने का शुक्रिया ऐ मेरे बिछड़े हुए हमसफर वरना जिंदगी का मतलब ही नहीं समझ में आता।।

अजीब सा दर्द है

अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों ना बताऊं तो "कायर" बताऊं तो "शायर" उसे गैरों से बातें करते देखा तो थोड़ी तकलीफ हुई फिर याद आया हम कौन सा उसके अपने थे बहाना क्यों बनाते हो नाराज होने का कह क्यों नहीं देते अब दिल में जगह नहीं तुम्हारे लिए बस एक बार निकाल दो इस इश्क से ऐ मेरे खुदा फिर जब तक जिएंगे कोई खता ना करेंगे।।

मेरी मोहब्बत और उसकी नफरत

ये मेरी मोहब्बत और उसकी नफरत का मामला है ऐ मेरे नसीब तो बीच में दखल अंदाजी मत कर ना जाने किस बात पे वो नाराज है हमसे  ख्वाबों में भी मिलता हूं तो बात नहीं करती जो कहा करते थे कभी तुम्हें भूल नहीं पाएंगे मिले जो कल तो बोले लगता है कहीं देखा है सुना है वो मुझे भूल चुकी है और कुछ तो नहीं बस उसकी हिम्मत की दाद देता हूं।।

बहुत तड़पाते हैं

जब मिलो किसी से तो जरा दूर का रिश्ता रखना बहुत तड़पाते हैं अक्सर सीने से लगाने वाले अब तुझसे शिकायत करना मेरे हक में नहीं क्योंकि तू आरजू मेरी थी पर अमानत शायद किसी और की अजीब है मोहब्बत का खेल जा मुझे नहीं  खेलना रूठ कोई और जाता है टूट कोई और जाता है।।

रोने की हसरत थी

लोग पूछते हैं क्यों सुर्ख है तुम्हारी आंखें हस के कह देती हैं रात सो ना सकी लाख चाहूं पर ये कह ना सकूं रात रोने की हसरत थी पर रो ना सकी क्या गम है क्या खुशी मालूम नहीं अपना है कि अजनबी मालूम नहीं जिसके बिना एक पल नहीं गुजरता कैसे गुजरेगी ये जिंदगी मालूम नहीं।।

उजड़ जाते हैं

उजड़ जाते हैं सर से पांव तक वो लोग जो किसी से बेपनाह मोहब्बत करते हैं  मुझसे खुशनसीब है मेरे लिखे ये लफ्ज़ जिनको कुछ देर तक पढ़ेगी निगाहें तेरी धड़कन की भाषा सुना करते थे वो आज नहीं सुनते सिसकिया मेरी आरजू थी तेरी मोहब्बत पाने की तूने तो नफरत के काबिल भी नहीं समझा सांसो में शामिल हो लहू में भी रवा हो मगर मेरे हाथों की लकीरों में कहां हो।।

कमकश-ए-जिंदगी

कमकश-ए-जिंदगी सुलझाएं कैसे। वो जो  यादोंमें बस गए हैं उन्हें भुलाए कैसे।। अनचाही राह जाने से खुद को बचाए कैसे। मनचाही राह के बंद दरवाजे खुलवाए कैसे।।

दिल ए नादां

दिल-ए-नादान ने कुछ ऐसे ख्वाहिश कर ली । जिसे पा नहीं सकते थे उसी से मोहब्बत कर ली । गर अहसास होता हमें हक नहीं है मोहब्बत करने का। चाहत ही ना करते किसी के बनने का। मोहब्बत ही बन गई हमारी सजा जिसे कहते थे दुआ। न करते दिल लगाने की खता न करते मोहब्बत को हम रुसवा।।

बेवफा

इश्क के नाम पर खुद को मिटा डाला हमने। अपनी दुआओं में सिर्फ तुझको ही मांगा हमने। प्यार का रंग मुझ पर ऐसा छा गया। कि हर दूजा रंग धुंधला सा गया। प्यार के नाम का यह कैसा दर्द पाया हमने। इश्क के नाम पर खुद को मिटा डाला हमने।। तुझको ही अपना खुदा बनाया। प्यार समझ कर दिल से लगाया। दिल से लगा कर दिल को तुड़वाया हमने। इश्क के नाम पर खुद को मिटा डाला हमने।।

तन्हाई

ये जो तेरे होने के बाद भी महसूस होती है ये मोहब्बत की रुसवाई है या तन्हाई है आंखों में दूर तलक सिर्फ वीरानियां फैली है हर तरफ सिर्फ तन्हाई है वो बातें भी तन्हा है वो यादें भी तन्हा है इस दिल में बसा तेरा प्यार भी आज तन्हा है जो खुशियां दी थी कभी तूने मुझे उन खुशियों के नसीब में भी आज तन्हाई है

कुछ अनकहा सा

वो जो तुम आंखों से पढ़ ना सके जज्बात अनकहा सा है वो जो मेरी खामोशियां तुमसे कह गई वो राज अनकहा सा है कभी कहते कहते जो हम कह ना सके और तुम कभी समझ ना सके मेरा वो दर्द अनकहा सा है

Moh Mayke Ka..

Meri kalam se Moh mayke Ka rakhna galat to nhi.. Pr mayke k moh me sasural ko bhula dena kya h Sahi.. Maa se baat kiye Bina din nhi niklta sasural me.. Mayke me Jake sasural ko bhula dena h kya Sahi.. Mayke me agr Apne h to.sasural bhi to apna h.. Apno k.liye apno ko bhula dena kya h Sahi.. Sasural me rah kr maa ki roj Yaad krna.. Or mayke Jake saasu maa ko bhula dena kya h Sahi.. Moh behan Bhai Ka chute nhi chut pata umr Bhar.. Pr kya devar or nanad Ka moh na krna h Sahi.. Ghr dono hi Apne h mayka ho ya sasural.. Pr ek k moh me duje ko andekha krna kya h Sahi.. Jaisi Soch rishto k roop waise hi banenge.. Sath mayke or sasural ko rkhana h Sahi.. Mayka Kal tha.. sasural aaj h.. Beete Kal k liye kya aj ko andekha krna h Sahi.. Apna samjho to sasural bhi apna mayka hi.lagega Bs frk Soch Ka h..ma to ma h.. fir apni ho ya saasu maa.. Apni maa ko HR wqt sochna uska drd smjhana Pr kya saasu ma k dard ko andekha krna h Sahi.. Rishte Apne h..pyar se sahejo ya majburi me nibhao Pr ek k moh me du...