उजड़ जाते हैं

उजड़ जाते हैं सर से पांव तक वो लोग
जो किसी से बेपनाह मोहब्बत करते हैं 
मुझसे खुशनसीब है मेरे लिखे ये लफ्ज़
जिनको कुछ देर तक पढ़ेगी निगाहें तेरी
धड़कन की भाषा सुना करते थे
वो आज नहीं सुनते सिसकिया मेरी
आरजू थी तेरी मोहब्बत पाने की
तूने तो नफरत के काबिल भी नहीं समझा
सांसो में शामिल हो लहू में भी रवा हो
मगर मेरे हाथों की लकीरों में कहां हो।।

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