शीशे सा ना बनाया होता
ऐ खुदा लोग बनाने थे पत्थर के अगर तो
मेरे एहसास को शीशे सा ना बनाया होता
ऐ मोहब्बत तू शर्म से डूब मर
तू एक शख्स को मेरा न कर सकी
तूने हसीन से हसीन चेहरे को उदास किया है
ऐ इश्क अगर तू इंसान होता तो तेरी खैर ना होती
सुनो हम पर मोहब्बत नहीं आती तुम्हें
ऐ मेरे सनम! रहम तो आता ही होगा।।
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