दिल ए नादां
दिल-ए-नादान ने कुछ ऐसे ख्वाहिश कर ली ।
जिसे पा नहीं सकते थे उसी से मोहब्बत कर ली ।
गर अहसास होता हमें हक नहीं है मोहब्बत करने का।
चाहत ही ना करते किसी के बनने का।
मोहब्बत ही बन गई हमारी सजा जिसे कहते थे दुआ।
न करते दिल लगाने की खता न करते मोहब्बत को हम रुसवा।।
जिसे पा नहीं सकते थे उसी से मोहब्बत कर ली ।
गर अहसास होता हमें हक नहीं है मोहब्बत करने का।
चाहत ही ना करते किसी के बनने का।
मोहब्बत ही बन गई हमारी सजा जिसे कहते थे दुआ।
न करते दिल लगाने की खता न करते मोहब्बत को हम रुसवा।।
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