मैं लौट आऊंगा

“अब तो आ जा मेरी जान के तेरे हिजर के कैदी को यहां…..

रोज इस शहर में मरने की दुआ मिलती है…..”

एक आवाज दिल से कभी लगा के देखना मै लौट आऊंगा…
आंसु का एक कतरा बस मेरी खातिर छलका के देखना मै लौट आउंगा…

इश्क में सौ बार जले हैं अब राख भी बिखरी पडी है…
मगर इश्क में फिर से आजमा के देखना मैं लौट आऊंगा….

तुमको खुश देख अपनी खुशियां लुटा आए थे हम…
चेहरे पर कभी शीकन ला कर देखना मैं लौट आऊंगा…

तेरी ही अदा पे मर मिटे उसी वजह से हम शायर बने…
कभी मेरी गजल गुनगुनाकर देखना मै लौट आऊंगा…

दूर ना जाने की सौ कसमें दी थी तुमनें हम ना माने…
एक दफा खुद में मुझको जगा कर देखना मैं लौट आऊंगा…

ना पाया है ना खोया है कुछ राह-ए-इश्क में मैंने…
कभी दर्द अपना हमपे लुटा कर देखना मै लौट आऊंगा….

जिन्दा हूं तब तक सांसों में तेरी रवानी है तब तक…
एक बार हाथ अपना बढाकर देखना मैं लौट आऊंगा…..

टिप्पणियाँ