वफा

फ़ितरत है इन हुस्न वालों की रस्में दर्द अदा करते रहते हैँ
फ़ितरत है इश्क वालों की दर्द सह कर भी इश्क करते रहते हैँ
वो भी हैँ पक्के अपने इरादों के बस नज़रों से वार करते रहते हैँ
हम भी हैँ पक्के आशिकी के वादों के बस उन ही से प्यार करते रहते हैँ
वो भी हैँ पक्के क़ातिल उसूलों के आरजूओ के कत्ल करते रहते हैँ
हम भी हैँ पक्के सब्र के उसूलों के दर्द सहकर भी वफ़ा करते रहते हैं

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