कवि हूं मैं

कवि हूँ मैं
दुनियावी हूँ मैं
दुनिया के
साथ साथ देखता हूँ।

अंधेरा इतना गहरा है
सबकुछ दिखने लगा
साफ साफ।
उजाले मे भी
सबकुछ दिखता था
उजाले मे बहुत कुछ
 दिखता है साफ साफ।
सवाल यह नहीं !
उजाला है
अंधेरा मे
तू देखता क्याहै?
सवाल यह है!
तू अब देखता ही क्यों है ?
एक बार देखेगा
 यह कहने के लिए
कि देख रहा हूँ
अंधेरा है
दिख रहा है साफ साफ।
एक बार देखेगा
यह कहने के लिए
 कि उजाले मे देखा मैनें
दिखा मुझे सबकुछ
बहुत कुछ साफ साफ।

माफ करना
मेरे दोस्त
ना अंधेरे मे देखता हूँ
ना उजाले मे देखता हूँ

कवि हूँ मैं
दुनियावी हूँ मैं
दुनिया के
साथ साथ देखता हूँ।


टिप्पणियाँ