कोई टूट रहा है

इश्क का धंधा ही बंद कर दिया साहेब
मुनाफे में जेब जले और घाटे में दिल
सुनो कोई टूट रहा है तुम्हें एहसास दिलाते दिलाते
सीख जाओ किसी की चाहत की कदर करना
नाराजगी डर नफरत या फिर प्यार
कुछ तो जरूर है जो तुम मुझसे दूर दूर रहते हो।।

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