अब तक याद है

दिल पर चला हर खंजर हमे अब  तक याद है
उनसे बिछड़ने का दर्दनाक मंज़र हमे अब तक याद है
वो हैरतनाक वाक़या हमे अब तक याद है
उसने कहा था जीना भी नहीं और रोना भी नही
ये खूने दिल से सने अल्फ़ाज़ हमे अब तक याद हैँ
वो पलकों की चिलमन मेंं लिपटा हिजाब हमे अब तक याद है
उन आँखों की शराब औऱ चेहरे पर नकाब हमे अब तक याद है
वो जलाए हुऐ खत औऱ मसला गुलाब हमे अब तक याद है
हाँ हमे याद है छत पर वो मुझसे निगाहें मिलाना
निगाहें चुरा कर वो नजरें बचाना और नजरें बचा कर निगाहें मिलाना
ना हो कदमों की आहट तो नंगे पाँबो ही आना और जलती फर्श पर वो सिसकियाँ सुनाना
पर फ़िर क्यू ये इश्क इतना हो गया बेगाना क्यूँ  बीच मेंं ही दम तोड़ गया ये फ़साना
गर मिले फुरसत तो हमको बताना इन्तेजार करेगा ये दीवाना

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