संदेश

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संभालना सीख लिया

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उसे पाने का मन नहीं, अब अपनी कल्पना की महबूबा से मोहब्बत करता हूँ। हक़ीक़त की जिंदगी में कभी वफ़ा नहीं मिली मुझे, इसीलिए वफाओ की बात लिखता हूँ, नहीं जोड़ना किसी तरह का रिश्ता अब उसके साथ। मैं तन्हा जैसा भी हूँ, इस दर्द के साथ खुश हूँ। कभी दिन रात भेजा करता था उसे लंबे चौड़े संदेश, अब अपनी जबाँ को सील कर जिंदगी में कभी उससे गुफ्तगू नहीं करूँगा, अपनी आरजू का गला घोंट मैने अपने दिल को बेवकूफ बनाना सीख लिया, इस लाइलाज दर्द के साथ मैने अपनी जिंदगी को संभालना सीख लिया।।

कुछ अनकही सी दास्तान

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जब- जब तेरी याद आती है ... दिल की धड़कन कुछ बढ़ जाती है, सांसे तो चलती है लेकिन,उनकी रफ्तार थोड़ी तेज हो जाती है| पता है ना तुझे थोड़ी इमोशनल हूं मैं तेरे लिए, शायद इसलिए हर बार तुझे याद करके मेरी आंखें भर आती हैं....  कैसे बताऊं तुझे तू क्या है मेरे लिए, बस तू इतना जान ले और यह मान ले कि तू मेरी जान है मेरे लिए.... लोग कहते हैं कि प्यार कोई खेल नहीं , क्योंकि अक्सर इसमें दिल टूट जाते हैं और एक हम हैं जो बस तेरी याद में हर बाजी हार जाते हैं.... एक तू है जो समझता ही नहीं मेरी बातों को और एक हम हैं जो अपने अंदर समेटे हुए हैं हजार जज्बातों को ... हर बार सोचा कि कह दूं, कह दूं तुझे वह सारी बातें और बयां कर दूं मेरे मन में उमड़ते सारे ख्याल , फिर सोचा बोलकर बताया तो क्या बताया तुम खुद ही क्यों नहीं समझ जाते..... हो तो बड़े बेदर्द तुम सब कुछ जान कर भी अनजान बनते हो, कहते तो कुछ भी नहीं पर आंखों ही आंखों में बात करते  हो..... सोचती हूं जब मिलूंगी तुझसे बरस जाऊंगी बारिश बनके और दूर कर लूंगी अपने सारे गिले, शिकवे और शिकायतें ,तेरी हर ख्वाहिश बनके.... काश वो दिन ...

मोहब्बत आज भी है

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तुझसे मिलने की ख्वाहिश आज भी है तेरी आंखों की कशिश आज भी है राह तकती हैं उन चंद लफ्जों की कैद धड़कनें तेरी गुलाम आज भी हैं। अफसानों से बने महल की एक खिड़की की तरह ताकती मेरी नजरें तुझे आज भी हैं। मेरे सीने से लिपटकर एक बार चाहे हट जाना तू सीने से लिपटकर एक बार चाहे फिर हट जाना तू तन्हाई की वो घुटन मुझे दे जाने की इजाजत तुझे आज भी है। तूने जो की थी बेवफाई आज भी है मेरे चेहरे पे वो उदासी आज भी है सुबह आती है रोज तेरा चेहरा लेकर मेरी गुमनाम हंसी में तेरा जिक्र आज भी है किसी और से मुखातिब होती ही नहीं अटकी मेरी जुबान तुझपे आज भी है मिलके एक बार चाहे फिर लौट जाना तू कि जाकर वापस आने की इजाजत तुझे आज भी है। हमने जो की थी मौहब्बत आज भी है तेरी जुल्फों के साये की चाहत आज भी है रात कटती है ख्यालों में तेरे दीवानों सी वो मेरी हालत आज भी है किसी और के तसव्वुर को उठतीं ही नहीं बेईमान आंखों में थोड़ी शराफ़त आज भी है चाह के एक बार चाहे फिर छोड़ देना तू चाह के एक बार चाहे फिर छोड़ देना तू दिल तोड़ तुझे जाने की इजाज़त आज भी है।

बेरुखी

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बहुत बेफिक्र था में जब इश्क़ में नहीं पड़ा था। वफाओ पे इतना भरोसा था बेफ़ाई का ख्याल तक न था। इश्क़ में कभी मेरी झोली नहीं रही खाली। सपने टूट गए उदासी यहाँ रह गयी। एक कांटा चुभा हो तो दर्द बता पाए। उदास मन की कुंठा को हम कैसे बतला पाए। अजीब खालीपन है ये। निराशाओं का घोर अंधेरापन है। अब उम्मीद नहीं करता में किसी से। इश्क़ से पहले बेवफ़ाई नज़र आ जाती है। कैसे कर पाउँगा भरोसा किसी पर। अब चाहत लुटाने से लगता है डर। यकीन नहीं होता अब किसी की बातों पर। ठोकर ऐसी मेने खायी है। हाथ जो फैलाये मेने उसके सामने। बदले में बेरुखी मेने पायी है।