संभालना सीख लिया
उसे पाने का मन नहीं,
अब अपनी कल्पना की महबूबा से मोहब्बत करता हूँ।
हक़ीक़त की जिंदगी में कभी वफ़ा नहीं मिली मुझे,
इसीलिए वफाओ की बात लिखता हूँ,
नहीं जोड़ना किसी तरह का रिश्ता अब उसके साथ।
मैं तन्हा जैसा भी हूँ, इस दर्द के साथ खुश हूँ।
कभी दिन रात भेजा करता था उसे लंबे चौड़े संदेश,
अब अपनी जबाँ को सील कर जिंदगी में कभी उससे गुफ्तगू नहीं करूँगा,
अपनी आरजू का गला घोंट मैने अपने दिल को बेवकूफ बनाना सीख लिया,
इस लाइलाज दर्द के साथ मैने अपनी जिंदगी को संभालना सीख लिया।।

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
Please do not enter any spam link in the comment box