मोहब्बत आज भी है
तुझसे मिलने की ख्वाहिश आज भी है
तेरी आंखों की कशिश आज भी है
राह तकती हैं उन चंद लफ्जों की
कैद धड़कनें तेरी गुलाम आज भी हैं।
अफसानों से बने महल की एक खिड़की की तरह
ताकती मेरी नजरें तुझे आज भी हैं।
मेरे सीने से लिपटकर एक बार चाहे हट जाना तू
सीने से लिपटकर एक बार चाहे फिर हट जाना तू
तन्हाई की वो घुटन मुझे दे जाने की इजाजत तुझे आज भी है।
तूने जो की थी बेवफाई आज भी है
मेरे चेहरे पे वो उदासी आज भी है
सुबह आती है रोज तेरा चेहरा लेकर
मेरी गुमनाम हंसी में तेरा जिक्र आज भी है
किसी और से मुखातिब होती ही नहीं
अटकी मेरी जुबान तुझपे आज भी है
मिलके एक बार चाहे फिर लौट जाना तू
कि जाकर वापस आने की इजाजत तुझे आज भी है।
हमने जो की थी मौहब्बत आज भी है
तेरी जुल्फों के साये की चाहत आज भी है
रात कटती है ख्यालों में तेरे
दीवानों सी वो मेरी हालत आज भी है
किसी और के तसव्वुर को उठतीं ही नहीं
बेईमान आंखों में थोड़ी शराफ़त आज भी है
चाह के एक बार चाहे फिर छोड़ देना तू
चाह के एक बार चाहे फिर छोड़ देना तू
दिल तोड़ तुझे जाने की इजाज़त आज भी है।

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