संदेश

मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तेरे मेरे दरमियां

चित्र
कुछ तो है तेरे मेरे बीच, जो आज भी तेरे लिए तड़पता हूँ। माना तेरे लायक नहीं हूं, पर तेरे बिना बिकुल अधूरा हूँ। दोस्तों को बोलता हूं कि ठीक हु, उसके बारे में अब नहीं सोचता हूँ। हफ्ते महीने साल, हक़ीक़त में तेरे बारे में ही सोचता हूं। माना बीत गए सालो पर ये उम्मीद आज भी बाकी है। अधुरा हु तेरे बिना, तुझे पाने की तड़प नहीं जाती है। तेरे घर आकर बस इतना फ़ायदा मेने उठाया था। तेरी आँखों में देखकर तेरी रूह को मैने चाहा था। नहीं आता था मुझे उन दिनों प्यार जताना। फिर अपने प्यार की गहराई को कैसे बता पाता। अपनी जिंदगी संभालते सँभालते तुझको खोकर बैठा था। तेरे बिना में हमेशा घुटकर जीता था। जीवन में मैं कहा तेरी तरह सोच पाता हूं। तू भूल गयी पर में कहा तूझे भूल पाता हूं। तु थी सबसे प्यारी चीज़ मेरे जीवन की। तुझे खोकर में चैन से कहा जी पाता हूं। हज़ारो दिल टूटते है यहाँ पर। में अपने दिल को अभी तक जोड़ नहीं पाया हूं। तेरी यादों को गले लगाकर, अभी भी सुबक कर रोता हु। अपनी पीड़ा तुझे बताने को में रोज तड़प तड़प के मरता हु। कमजोर नहीं था कमजोर हो गया हु। खुश रहने के लिए  में अब बहु...

चकोर

रात में चकोर गाता मोहब्बत की दास्ताँ। एकटक देखता चाँद को करता चांदनी से प्यार। आयी अमावस की रात हुआ चकोर बहुत उदास। कहा है मेरी चाँदनी बेचैन होकर बैठता कभी इस डाल कभी इस डाल। मोहब्बत तुझसे कम न होगी, प्यास ये कभी न बुझेगी। फिरसे आयेगी चांदनी में करूँगा उससे जी भरकर प्यार। एक दिन पुर्णिमा को चांदनी बोली चकोर से ये बात। ज़मीन से हज़ारो ने निहारा मुझे। तेरे जेसा कोई नहीं कर सकता मुझे प्यार। में कही भी चली जाऊ पर पाऊँगी हमेशा तुझे अपने दिल के पास। आऊंगी हमेशा तेरे पास लौटकर, करुँगी तुझसे प्यार।

राहें इश्क

गर जाना ही हो दूर किसी से ख़ामोशी से चले जाईए ये रिश्तों की रस्में दूरी बड़ी अदा से फरमाइये मिलना औऱ मिल जाना तो है एक  हादसा ही बनाना या बन जाना किसी के अख्तियार मेँ है नहीं पर दिल ना मिले तो फौरन दूर जाना चाहिए बेवजह आग ए इश्क को नहीं सुलगाना चाहिए बस हौले सें टूटे पत्ते की मानिन्द दूर जाना चाहिए हंगामा होता नहीं अच्छा इश्क के बाजार मेँ कोइ दुशमन कोइ दोस्त होता नहीं  प्यार मेँ ये है शय एक ऐसी जिसका कोइ आगाज नहीं कर सकता ये है मय एक ऐसी जिसे कोइ नजर अंदाज़ नहीं कर सकता तो हुजूर मुस्कुराइये राहें इश्क पर भी थोड़ा ही सह़ी टहल आइए

दिल टूटने का अह्सास

आज फ़िर दिल टूटने का अह्सास हुअा फ़िर से एक सफेद झूठ का पर्दाफाश हुअा मैंने कहा उनसे जरा कोइ झूठ तो बोलो बोले वो हौले से मुसकुरा कर बहुत याद आते हो दिल मेंं रहते हो दिन रात जगाते हो तुम्हारी कसम तुम बहुत याद आते हो हम खड़े रहे गुमसुम से कूछ पल बेदम बेअकल से फ़िर जब हुअा मन काबू मेंं बोले हम बोल सरल से क्यूँ छिड़कते हो हमारे जख्मों पे नमक अब भी तुम क्यूँ हमे सताते हो कब के बन चुके हो किसी औऱ के क्यूँ अब भी हमें बनाते हो शहीदों की शहादत का क्यूँ गंदा मजाक बनाते हो बोले वो एक क़ातिल मुस्कान फेंक के मगर थोड़ा सा झेंप के यें तो हसीनों का उसूल है बेवफाई इश्क का रूल है ठीक है डोली चढ चुकी हूँ कई दिलों से खेल चुकी हूँ पर अभी इक वादा बाकी है क़त्ल का इरादा बाकी है मासूम दिलों को तोड़ने वाला खेल यें आधा बाकी है  हमने कह दिया हम भी जिगर रखते हैँ तुम जैसे कई कई क़ातिल हम तो डियर नियर रखते हैँ बावफा हैँ हम खुद मगर बेवफाओ  पे नजर रखते हैँ धोखे खा चुके हैँ तजुरबे पा चुके हैँ सह़ी रस्ते पे जानम हम अब आ ही चुके हैँ तो बेवफओ को ठुकरायेगे गलती ना फ़िर दोहरायेंगे साथ रहे जो गर्द...

वक्त बदल जाता है

यहाँ हर शख्स बिना बात बदल जाता है बदलते वक्त के संग अक्स बदल जाता है बदल जाते हैँ कई रिश्ते कई वादे या रब बस बात ही बात मेंं इन्सान बदल जाता है वक्त तो वक्त है सिर्फ वक्त पे ही  बदलता है ये तो इन्सान है जो हर  वक्त बदल जाता है बदलना उसूल है इस कायनात मेंं ए "मनोज" सरदी गर्मी जाड़ा बारिश दिन रात बदल जाता है मगर बदलना है तो फ़िर अच्छे के लिऐ बदलो गर बदलना ही है तो फ़िर सच्चे के लिऐ बदलो सीखो कूछ प्रकृति के उसूलों से सीखो कूछ अपने से हुई भूलों से सीखो कूछ रोज उगते मिटते फूलों से वक्त आता है तो ये वक्त बदल जाता है पेड़ क़ा साथी बूढ़ा सूखा पत्ता भी नए पत्ते से बेसाख बदल जाता है बदलना बेहतर है मगर बदलो तो वफा की खातिर बदलना ही है तो बदलो भलाई की खातिर तो वक्त को आँको औऱ वक्त पे बदल डालो खुद को वरना गया वक्त फ़िर कभी लौट के ना आता है