वक्त बदल जाता है

यहाँ हर शख्स बिना बात बदल जाता है
बदलते वक्त के संग अक्स बदल जाता है
बदल जाते हैँ कई रिश्ते कई वादे या रब
बस बात ही बात मेंं इन्सान बदल जाता है
वक्त तो वक्त है सिर्फ वक्त पे ही  बदलता है
ये तो इन्सान है जो हर  वक्त बदल जाता है
बदलना उसूल है इस कायनात मेंं ए "मनोज"
सरदी गर्मी जाड़ा बारिश दिन रात बदल जाता है
मगर बदलना है तो फ़िर अच्छे के लिऐ बदलो
गर बदलना ही है तो फ़िर सच्चे के लिऐ बदलो
सीखो कूछ प्रकृति के उसूलों से
सीखो कूछ अपने से हुई भूलों से
सीखो कूछ रोज उगते मिटते फूलों से
वक्त आता है तो ये वक्त बदल जाता है
पेड़ क़ा साथी बूढ़ा सूखा पत्ता भी नए पत्ते से बेसाख बदल जाता है
बदलना बेहतर है मगर बदलो तो वफा की खातिर
बदलना ही है तो बदलो भलाई की खातिर
तो वक्त को आँको औऱ वक्त पे बदल डालो खुद को
वरना गया वक्त फ़िर कभी लौट के ना आता है

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