राहें इश्क

गर जाना ही हो दूर किसी से ख़ामोशी से चले जाईए
ये रिश्तों की रस्में दूरी बड़ी अदा से फरमाइये
मिलना औऱ मिल जाना तो है एक  हादसा ही
बनाना या बन जाना किसी के अख्तियार मेँ है नहीं
पर दिल ना मिले तो फौरन दूर जाना चाहिए
बेवजह आग ए इश्क को नहीं सुलगाना चाहिए
बस हौले सें टूटे पत्ते की मानिन्द दूर जाना चाहिए
हंगामा होता नहीं अच्छा इश्क के बाजार मेँ
कोइ दुशमन कोइ दोस्त होता नहीं  प्यार मेँ
ये है शय एक ऐसी जिसका कोइ आगाज नहीं कर सकता
ये है मय एक ऐसी जिसे कोइ नजर अंदाज़ नहीं कर सकता
तो हुजूर मुस्कुराइये राहें इश्क पर भी थोड़ा ही सह़ी टहल आइए

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