दिल टूटने का अह्सास

आज फ़िर दिल टूटने का अह्सास हुअा
फ़िर से एक सफेद झूठ का पर्दाफाश हुअा
मैंने कहा उनसे जरा कोइ झूठ तो बोलो
बोले वो हौले से मुसकुरा कर बहुत याद आते हो
दिल मेंं रहते हो दिन रात जगाते हो
तुम्हारी कसम तुम बहुत याद आते हो
हम खड़े रहे गुमसुम से कूछ पल बेदम बेअकल से
फ़िर जब हुअा मन काबू मेंं बोले हम बोल सरल से
क्यूँ छिड़कते हो हमारे जख्मों पे नमक
अब भी तुम क्यूँ हमे सताते हो
कब के बन चुके हो किसी औऱ के
क्यूँ अब भी हमें बनाते हो
शहीदों की शहादत का क्यूँ गंदा मजाक बनाते हो
बोले वो एक क़ातिल मुस्कान फेंक के मगर थोड़ा सा झेंप के
यें तो हसीनों का उसूल है बेवफाई इश्क का रूल है
ठीक है डोली चढ चुकी हूँ कई दिलों से खेल चुकी हूँ
पर अभी इक वादा बाकी है क़त्ल का इरादा बाकी है
मासूम दिलों को तोड़ने वाला खेल यें आधा बाकी है 
हमने कह दिया हम भी जिगर रखते हैँ
तुम जैसे कई कई क़ातिल हम तो डियर नियर रखते हैँ
बावफा हैँ हम खुद मगर बेवफाओ  पे नजर रखते हैँ
धोखे खा चुके हैँ तजुरबे पा चुके हैँ
सह़ी रस्ते पे जानम हम अब आ ही चुके हैँ
तो बेवफओ को ठुकरायेगे गलती ना फ़िर दोहरायेंगे
साथ रहे जो गर्दिश मेंं बस अब उन्हीं को अपनाएंगे

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