चकोर

रात में चकोर गाता मोहब्बत की दास्ताँ।
एकटक देखता चाँद को करता चांदनी से प्यार।
आयी अमावस की रात हुआ चकोर बहुत उदास।
कहा है मेरी चाँदनी बेचैन होकर बैठता कभी इस डाल कभी इस डाल।
मोहब्बत तुझसे कम न होगी, प्यास ये कभी न बुझेगी।
फिरसे आयेगी चांदनी में करूँगा उससे जी भरकर प्यार।
एक दिन पुर्णिमा को चांदनी बोली चकोर से ये बात।
ज़मीन से हज़ारो ने निहारा मुझे।
तेरे जेसा कोई नहीं कर सकता मुझे प्यार।
में कही भी चली जाऊ पर पाऊँगी हमेशा तुझे अपने दिल के पास।
आऊंगी हमेशा तेरे पास लौटकर, करुँगी तुझसे प्यार।

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